Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Mayank Saxena

Inspirational

4  

Mayank Saxena

Inspirational

आवाजों का जंगल

आवाजों का जंगल

1 min
176


आवाजों के इस जंगल में, 

कुछ आवाजें दब सी गयी हैं, 

कितनी तो सिसकियों में सिमट सी गयी हैं, 

कितनी बातें कह कर खामोशी के

आगोश में सिमट सी गयी हैं।


आवाजों के इस जंगल में, 

दिल की आवाजें ना जाने क्यूँ

कहीं खो सी जाती है, 

सुन सको तो सुनो,

इन खामोश सी आवाजों को, 

कितनी कहानियों से रूबरू हो जाओगे, 

कितने ख्वाब को सुन पाओगे।


आवाजों के इस जंगल में, 

कितनी आवाजें खो सी जाती हैं, 

ना फिर वो कभी कुछ कह पातीं हैं, 

ना फिर कभी वो सुनीं जाती हैं, 


आवाजों के इस जंगल में, 

हर आवाज की एक पहचान है, 

कुछ बुलंद होकर अपनी बात रखते हैं, 

कुछ शालीनता से अपनी राय रखते हैं।


 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational