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Mayank Saxena

Abstract

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Mayank Saxena

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तुझे क्या चाहिए जिंदगी

तुझे क्या चाहिए जिंदगी

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तुझे क्या चाहिए जिंदगी

कुछ तो बता, 

कुछ तो बोल मुझे कुछ तो बता

अनकही बातें बूझ सकता नहीं मैं, 

ए जिंदगी जरा तु खूल के बता


मानता हूँ मैं कि वक़्त दे पाता नहीं तुझको, 

तेरी कशमकश को मैं सुन पाता नहीं हूँ, 

एक वक़्त एसा भी था मगर,

हम एक दूसरे के हमकदम हुआ करते थे, 

मगर अब फिर से चल एक साथ चलते हैं, 

एक दूसरे के ख्वाब और ख्वाहिशें सुनते, 

तु मुझको बता तुझे क्या चाहिए, 

में तुझको बताता हुं मुझे क्या चाहिए


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