हैरत नही, अछूूूत सा जहान के इस भीङ में वह अकेला हुुआ! हैरत नही, अछूूूत सा जहान के इस भीङ में वह अकेला हुुआ!
आवाजों के इस जंगल में, कितनी आवाजें खो सी जाती हैं, आवाजों के इस जंगल में, कितनी आवाजें खो सी जाती हैं,
बीत गयी रात सिसकियों में, बैठी रही पूरी रात सीढ़ियों पे बीत गयी रात सिसकियों में, बैठी रही पूरी रात सीढ़ियों पे