आतप (कुंडलियां)
आतप (कुंडलियां)
आतप के आतंक से, सबकी नींद हराम।
बिजली पंखा है नहीं, यहाॅं कहाॅं आराम।।
यहाॅं कहाॅं आराम, बढ़ी है गर्मी इतनी।
बहकी बहकी शाम, लगे सबको है कितनी।।
गर्मी ढाए कहर, देख सब झुलसे पादप।
आता है हर साल, यही प्रकोप है आतप।।
आतप के आतंक से, सबकी नींद हराम।
बिजली पंखा है नहीं, यहाॅं कहाॅं आराम।।
यहाॅं कहाॅं आराम, बढ़ी है गर्मी इतनी।
बहकी बहकी शाम, लगे सबको है कितनी।।
गर्मी ढाए कहर, देख सब झुलसे पादप।
आता है हर साल, यही प्रकोप है आतप।।