STORYMIRROR

Gaurav Singh "Gaurav"

Inspirational

4  

Gaurav Singh "Gaurav"

Inspirational

आत्महत्या

आत्महत्या

1 min
259

इक पतली, मुलायम, सुंदर सी,

रेशमी रस्सी में फंसा,

फ़र्श से कुछ ऊपर मगर,

अर्श से काफी नीचे,


कल की चिंताओं से ग्रस्त,

आज का हारा हुआ,

गहरा फंसा तिलिस्म में,

जमीं और आसमां के,

एक जिस्म मध्य में लटका था।


शिथिल, शांत, मृत शरीर के संग,

लटके थे कितने प्रश्न अधर में ,

निरुतर, आश्चर्यचकित,अपराधी से,

खुद से खुद में उलझे हुये,

पूछते हुए खुद से खुद के उत्तर,

क्या हम कातिल थे ?

या कातिल थी वो जुबां,

जहाँ से हम निकले थे ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational