हिंदी
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मेरे लबों में बसती हिंदी है,
मेरी कर्मभूमि हिंदी है,
मेरी मातृभाष हिंदी है,
मेरे रग रग में बसती हिंदी है।
उत्तर की माटी हिंदी है,
पूरब पश्चिम में हिंदी है,
धुर दक्षिण में कावेरी तट तक,
बसती कण कण में हिंदी है।
सिंधु,ब्रम्हपुत्र, गंगा-यमुना,
कृष्णा, कावेरी, गोदावरी को,
जिसने जोड़ा वो हिंदी है।
हिन्दू,मुस्लिम, सिक्ख,ईसाई,
बांग्ला, मराठी,गुजराती भाई,
जोड़ा भिन्न-भिन्न भागों को,
वो प्यारी सी मां हिंदी है।
गांधी की भाषा हिंदी है,
भारत की बेजोड़ व्यवस्था,
ग्रामीण अंचल की भाषा हिंदी है,
मेरी मातृभूमि हिंदी है।
मेरी कर्मभूमि हिंदी है।।
