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Gaurav Singh "Gaurav"

Inspirational

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Gaurav Singh "Gaurav"

Inspirational

संघर्ष

संघर्ष

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 बढ़ो-बढ़ो रणधीर बढ़ो,

शब्दों के नुकीले तीर लिए,

जीवन नित क्षण महाभारत रण है,

गिरते पग-पग में धड़ है,

बचा नहीं सदेह कोई धर्म-कर्म,

सब सत्ता के शब्द हुए,

अब वंदन प्रेम के नियम नहीं,

अब संख्याएं गिनने का समय नहीं,

इसलिए लड़ो रणधीर अंत तक,

न डिगो, न रुको जीवन रण में।


न ही विचलित हो तुम पीड़ाओं से, 

ये चोटें कोई नई नहीं,

शासक,समाज,सत्ता,शोषित,

जो जीवित है सब पीड़ित हैं,

कोई दीन हीन है क्षुधाग्रस्त,

कोई मद मोह दंभ से पीड़ित है।


प्रहरी है खड़े बहुत बाहर,

सुंदर सुभट प्रेम से भरे हुए,

तुम लड़ो भीतरी जंगों को,

नवल प्रेम संचार करो।

                 

   


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