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Tripti Dhawan

Inspirational

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Tripti Dhawan

Inspirational

आत्मदर्शन

आत्मदर्शन

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देख कर कोई चेहरा नहीं आये हैं, 

तोड़ कर कोई पहरा नहीं आये हैं, 

गूंज थी सत्य की जिस डगर पर वही,

उस डगर को पकड़ कर निकल आये हैं ।।


कोई मेहनत से भागे नहीं हैं कदम,

कोई ठोकर से हारे नहीं हैं कदम,

जितने भी थे अंधेरे पड़े बेअसर,

लाठी विश्वास की ले चले आये हैं ।।


हमको हमने पुकारा तब जा मिले,

खुद से खुद को निहारा तब आ मिले,

इस स्वयं से स्वयं का मिलन तब हुआ 

छोड़ कर सब भरम जब निकल आये हैं ।।


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