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Tripti Dhawan

Abstract

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Tripti Dhawan

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प्रोम्प 28 आशाएँ

प्रोम्प 28 आशाएँ

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दिल को मेरे आज भी आशा है,

कि मैं कुछ कर जाऊंगा,


माँ के सपने मैं जीऊंगा,

बाबा को खुशी दे पाऊंगा,


भैया का मैं लाडला बच्चा जग में ख्याति कमाऊंगा,

दीदी का मैं प्यारा छोटुकु हर जंग जीत जाऊंगा


दिल को मेरे आज भी आशा है,

कि मैं कुछ कर जाऊंगा ।।


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