आस्तिक
आस्तिक
ज्ञान और विज्ञान से परे,
घटती जब भी घटनाएँ।
प्राणि जगत हतप्रभ होता,
बिन कर्ता के देख क्रियाएँ।
कौन नियंता जगत का है?
करता कौन नियोजन है?
कैसे जीवित जीव-जंतु हैं?
कौन कराता भोजन है?
प्राकृतिक परिवर्तन हैं जो,
आस्तिक यह विचारधारा।
आदि अदृश्य शक्ति है कोई,
करे नियंत्रित जग सारा।
बाल-बाल बच जाते जब भी,
मौत सामने दिख जाती।
तब लगता कैसे हो पाया?
तभी याद ईश्वर की आती।
है अदृश्य रब कण-कण में है,
जिसको मान रहा इंसान।
अनसुलझी हैं कई पहेलीं,
जिनसे लगता है भगवान।
