आस्था
आस्था
मन में हो आस्था तो दिखावे पे क्यों जाएं..?
आस्था सिर्फ सुहाने पल में ही नहीं झलकती है
घोर अंधेरे में सबसे ज़्यादा इसकी ही ज़रूरत..!
ये नहीं साथ छोड़ती है हमारा कभी
हम ही हैं जो बहकर भूल जाते हैं!
इसलिए आते हैं मुसीबतों के पहाड़, डगमगा जाते हैं पैर
तब हाजिर होते है हम कर जोड़े उस मूर्ति के सामने
आस्था के नाम पर झलकता है हमारा लालच !