Lakshman Jha

Inspirational

2  

Lakshman Jha

Inspirational

आशा

आशा

1 min
345


टूट गए थे

तार सभी,

धीरे-धीरे

जुड़ ही गए !


काली अंधियारी

घोर घटा,

धीरे-धीरे

छट ही गए !


आशा विश्वास

की किरणें

कभी ना

हमसे रूठेगी !


नैया जो मेरी

मझधार में हैं

एक दिन वो

किनारा ढूंढेगी !


कुछ क्षण हम

क्यों ना मलिन रहें,

पर ऋतु तो

बदलते रहते हैं !


पतझड़ के बाद

वसंत हमेशा

सबके आँगन

खिलते हैं !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational