आशा की लौ जलाये रखिए.....( कोरोना काल )
आशा की लौ जलाये रखिए.....( कोरोना काल )
इंसानों का जाना जारी है
ये विषम महामारी है
हिम्मत टूटने मत दिजिये
सबके इम्तिहान की बारी है,
जो किसी ने सोचा ना था
ऐसा कभी होना ना था
हालत बद से बदतर हैं
अपनों को ऐसे जाना ना था,
सांत्वना के स्वर हैं
बस यही प्रखर हैं
सबके सीने का दर्द
ऐसे में मुखर है
ये तो जैसे प्रलय है
सबकी टूटती लय है
तार सब उलझ गये
कैसा ये समय है,
फिर भी...
उम्मीद की जो डोर है
वो नहीं कमज़ोर है
इसको बस पकड़े रखिए
यही तो पुरजोर है।