STORYMIRROR

संजय कुमार

Abstract

2  

संजय कुमार

Abstract

आशा की डोर

आशा की डोर

1 min
95


मोहब्बत तो किसी तरफ से नहीं थी

ये तो केवल आशाओं की डोर है।

तुम दिल को अपने समझा सकती थी

जब पता चला उसका कोई और है।

दिल को थोड़ा दर्द होता समझ जाता

पर आप का दिल टूटने से तो बच जाता

तेरी यादों की कश्ती में हम जल गए

मेरे आँसू आँखो में ही सिमट गए।

आया था तेरे चाहतों का तूफान

फिर भी गिरते गिरते हम संभल गए।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract