बताओ मैं क्या लिखूं
बताओ मैं क्या लिखूं
बताओ मैं क्या लिखूं
जमीं को फिरदौस या
आसमां को जहाँ लिखूं
किलकिलाती धूप या
सुगबुगाती शाम लिखूं।
बताओ मैं क्या लिखूं
बारिश की उमंग या
किसानो की जंग लिखूं
बच्चों की आस या
पपीहा की प्यास लिखूं।
बताओ मैं क्या लिखूं
बिन डोर की पतंग या
रिश्तों की कड़वाहट लिखूं
शमां का मचलना या
पतंगे का जलना लिखूं
बताओ मैं क्या लिखूं
लालच जायदाद का या
भाई का प्यार लिखूं
तिरस्कार बच्चो का या
समाज का अत्याचार लिखूं
बताओ मैं क्या लिखूं
तेरा बेइंतहां प्यार या
बिछड़ने की बेला लिखूं
दिन की लड़ाई या
रात की तन्हाई लिखूं
बताओ मैं क्या लिखूं
वो मखमली बिस्तर या
फुटपाथ की रात लिखूं
छप्पन भोग लिखूं या
दो रोटी की दास्तां लिखूं
बताओ मैं क्या लिखूं
दरख्तों में जीवन लिखूं या
तरसती छाँव के लोग लिखूं
जल को जीवन लिखूं या
विना जल की कहानी लिखूं
बताओ मैं क्या लिखूं
सुंदर चरित्र लिखूं या
घिनौनी हरकते लिखूं
रोज़ - रोज़ की खिचपिच या
दो पल को रूहानी लिखूं
बताओ मैं क्या लिखूं
रावण की क्रूरता या
श्री राम सा पुरुषार्थ लिखूं
बिनय की परिभाषा या
कुटिलता की भाषा लिखुँ
बताओ मैं क्या लिखूं
चीखें समाज की या
हँसी ठिठोली लिखूं
दर्द लिखुँ मानवता का या
दानवता की बात लिखूं
बताओ मैं क्या लिखूं
बताओ मैं क्या लिखूं !
