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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract Others

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

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" आँसू "

" आँसू "

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नयनों से आँसू बहते हैं,

बहता है तो बह जाने दो !

दुख में यह बहता है अविरल,

ख़ुशियों में इसे छलकने दो !!


हमें दर्द बहुत, दुख देता है,

रह- रह के, रुला देता है,

कभी हमको, तड़पाता है,

कभी रह- रह, आँसू गिरता है !! 

 

कुछ क्षण में हम सब भूल गए,

बीती बातें को मन से भूलने दो !

दुख में यह बहता है अविरल,

ख़ुशियों में इसे छलकने दो !


नयनों से आँसू बहते हैं,

बहता है तो बह जाने दो !

दुख में यह बहता है अविरल,

ख़ुशियों में इसे छलकने दो !!


ख़ुशियों के, आँसू होते हैं,  

वो प्यार के, बोल समझते हैं, 

अपनों से जब, जब मिलते हैं,

तब जाकर फिर, कहीं रुकते हैं !!


आँसू का साथ है जन्म जन्म का,

जब जैसा बहना चाहे बहने दो !

दुख में यह बहता है अविरल,

ख़ुशियों में इसे छलकने दो !


नयनों से आँसू बहते हैं,

बहता है तो बह जाने दो !

दुख में यह बहता है अविरल,

ख़ुशियों में इसे छलकने दो !!



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