आम जिंदगी
आम जिंदगी
1 min
191
लॉकडाउन के बाद बाजार तो खुल जाते है
पर आम आदमी की जेब पर ताले लग जाते है...
वो बाजार ढेर सारी ख्वाहिशें तो लेकर जाता है
मगर घर लौटते वक्त जरूरतों को ला पाता है...
निगाहें अब महंगी वस्तु देखने से भी कतराती है
शोरुम की वो चमचमाती गाड़ियां उसकी पहुंच से दूर नजर आती है...
बचत निवेश शब्द रोजमर्रा की जिंदगी में कहीं खो जाते है
चारों पहर अब तो साहूकारों के कॉल आते है...
मंदी के दौर में बढ़ती हुई महंगाई तो जैसे- तैसे झेल लेते है
पता नहीं इतने दुखो के बाद भी कैसे खुश रह लेते है...