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आखिर प्रभु राम घर की ओर

आखिर प्रभु राम घर की ओर

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प्रभु राम थे दशरथ,

कौशलय के सपूत,

चारों भाइयों में सबसे बड़े,

बिष्णु के अवतार,

अयोध्या के युवराज।


पिता की आज्ञा का किया पालन,

निकले 14बर्ष बनवास के लिये,

अपनी पत्नी और छोटे भाई के साथ,

कईयों का किया उद्धार,

राक्षसों का किया नाश,

लंका पे की चढ़ाई,

रावण को मौत की नींद सुलाई,

फिर अयोध्या की ओर किया प्रस्थान,


और राम राज्य की हुई शुरुआत,

मर्यादा पुरुषोत्तम की रखी मिसाल।

ये कहानी बहुत पुरानी,

आज है कलयुग,

प्रभु राम थे इसमें बेघर,

रहते थे एक टैंट में,


हर अच्छे बुरे मौसम में,

बहुत हुआ संघर्ष,

मामला पहुंचा उपरी अदालत,

आखिर न्यायधीशों ने दिखाई समझदारी,

प्रभु राम को मिली अपने हिस्से की जमीन सारी,


ये देख,

लोगों में बहुत उत्साह,

अब चाहते,

करें भव्य राममंदिर बनाने की शुरुआत।


हर किसी को ये फ़ैसला मंजूर,

हर कोई तैयार,

देने को अपना योगदान।

परंतु हैं कुछ खुसफुसाहट अभी भी,

रूकावट डालना चाहते,

इसके बनने में कभी भी।

ये लोग कितने हैं स्वार्थी,


प्रभु राम की भी नहीं

आने देते घर की बारी।

शायद आए इन्हें सद्बुद्धि,

हो जाएं भव्य राममंदिर

बनने में ये भी शरीक।


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