आखिर क्यों
आखिर क्यों
हर युग मे क्यों हो सीता की अग्नि परीक्षा
पूछ रही है इस कलयुग की सीता
हर युग मे क्यों राम मुझको ही त्यागे
गर राम है गलत तो मैं क्यों ना उसका त्याग करुं
हर बार क्यों मैं शक की नजर से देखी जाऊँ
हर बार क्यों मैं दूँ अग्नि परीक्षा हर बार क्यों मैं क्यों दूँ अग्नि परीक्षा
हर पल मुझको कोसते है हर पल मेरी गलतियाँ ढूंढते हैं
क्यों नही कभी सोचते कि कमी राम में भी हो सकती है
राम से कम नही इस युग की सीता
हर हाल में राम के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकती है
घर से बाहर निकल कर वो भी मेहनत करती है
अपनो के प्रति अपने हर फ़र्ज़ को वो भी निभा सकती है
फिर भी जाने क्यों लोग उसको ही शक की नजर से देखते हैं
इस युग के रावण वैसे नही जो सीता को पवित्र छोड़ दे
इस मे गलती सीता की नही गर वो किसी हादसे का शिकार हो जाये
तब क्यों राम उसकी परीक्षा ले अगर वो खुद सीता की रक्षा नही कर पाया