आख़िरी घर मेरा है
आख़िरी घर मेरा है
सूरज आता जहाँ से है,
औऱ होता जहाँ सबेरा है,
जिंदगी की मोड़ पे आख़िरी घर मेरा है,,
ये रातें कब ख़त्म होती हैं,
यहाँ तो हरपल ही अंधेरा है,
जिंदगी की मोड़ पे आख़िरी घर मेरा है,
मोहब्बत शुरू की किसने,
किसकी ज़ुल्फ़ो का ये अघेरा है,
जिंदगी की मोड़ पे आख़िरी घर मेरा है,,!
बांट दिया लोगों को जाति-धर्म,मजहब-संप्रदाय के नाम पर,
इंसानियत का तो यहां ना कोई बसेरा है,
जिंदगी की मोड़ पर आखिरी घर मेरा है,,!