।।आजादी के दीवाने।।
।।आजादी के दीवाने।।
आजादी के दीवानों से,
सीख यही हमको मिलती
कभी नहीं तुम पीछे हटना
भारत माता की है यह मिट्टी
मस्ताने थे परवाने थे
आजादी की अग्नि में जो कूदे।
किया बुलंद था इन्कलाब
तब देश छोड़ कर गोरे भागे।
कितने ही बलिदानी वीरों ने,
फाॅ॑सी का फंदा चूमा था।
आजादी का चक्र तब यह,
भारत की धरती पर घूमा था।
जुल्म सितम सब कुछ सहके,
कदम बढ़ाते जाते थे।
जो भी रास्ता इनका रोके,
रौंद उसे आगे बढ़ जाते थे।
कहीं पे मारा कहीं पे काटा,
अंग्रेजों की गर्दन को।
सारे कष्ट उठाए वीरों ने,
आजादी अपनी सर्जन को।
ऋणी तुम्हारा देश यह सारा,
चुका नहीं सकता कोई।
उपकार तुम्हारा बलिदानी वीरो,
भुला नहीं सकता कोई।
देश का बच्चा बच्चा गाएगा,
इंकलाबी तराना वीरों का।
रहेगा चमकता शौर्य तुम्हारा,
भारत के भाल पर वीरों का।
