आज यही है देश की भक्ति
आज यही है देश की भक्ति
अमृत महोत्सव आज़ादी का,
मना रहा सारा ही हिन्दुस्तान।
आज यही है देश की भक्ति,
बनाएं खुद को बेहतर इंसान।
हम निज तन-मन को पुष्ट बनाएं,
सदा नियमित दिनचर्या अपनाएं।
आलस्य ईर्ष्या और द्वेष भगाएं,
सबके हित की सोच हो पावन,
यह जग बन जाएगा स्वर्ग समान।
अमृत महोत्सव आज़ादी का,
मना रहा सारा ही हिन्दुस्तान।
आज यही है देश की भक्ति,
बनाएं खुद को बेहतर इंसान।
हम निज कर्तव्य निभाते जाएं,
सदा हर्षित रहें नहीं झुंझलाएं।
हम अनुकरणीय चरित्र बनाएं,
बदल न सकते हैं दूजे को हम,
हम सीखें त्याग और बलिदान।
अमृत महोत्सव आज़ादी का,
मना रहा सारा ही हिन्दुस्तान।
आज यही है देश की भक्ति,
बनाएं खुद को बेहतर इंसान।
जो निज कर्त्तव्य जो करें सब पूरे,
किसी के अधिकार न रहें अधूरे।
हैं छह मौलिक अधिकार हमारे,
ग्यारह मौलिक कर्त्तव्यों की अपेक्षा,
हमसे करता है भारत का संविधान।
अमृत महोत्सव आज़ादी का,
मना रहा सारा ही हिन्दुस्तान।
आज यही है देश की भक्ति,
बनाएं खुद को बेहतर इंसान।
हम सब वंशज हैं प्रताप शिवा के,
और आजाद भगत के अनुयाई ।
सागर के वक्ष को चीर दिया है ,
जगत को शांति राह है दिखलाई।
नभ जल थल में शक्ति दिखाकर,
आज विकसित हुआ है हिंदुस्तान
अमृत महोत्सव आज़ादी का,
मना रहा सारा ही हिन्दुस्तान।
आज यही है देश की भक्ति,
बनाएं खुद को बेहतर इंसान।
हम निडर सशक्त बनाएं खुद को,
निभाएं वह दायित्व जो पाया है।
दायित्व निर्वहन ही देशभक्ति है,
अमृत महोत्सव संदेशा लाया है।
धूर्तों के बहकावे में न आएं हम,
तभी विश्वगुरु बनेगा हिंदुस्तान।
अमृत महोत्सव आज़ादी का,
मना रहा सारा ही हिन्दुस्तान।
आज यही है देश की भक्ति,
बनाएं खुद को बेहतर इंसान।