आज फिर से इतवार है आया!
आज फिर से इतवार है आया!
कितनी यादगार इतवारें हमने साथ मिलकर बिताई थी !
खेल- खेल में हमने जिंदगी की अहम हिस्सा गुजारी थी !
आती है वो याद अब एक यादगार लमहा बनकर !
लौट आता काश ! वो फितरत भरी सुकून की दोपहर!
क्षितिज पर यादों की बहार है आया !
लो फिर से आज इतवार है आया !
लौट आएं उस दौर में हम जिस दौर की दोस्ती की दास्तान बड़ी निराली थी ।
कितना खुशनुमा वो मौसम था ,कितनी खुशनसीब फिजाएं थीं ।
बस महसूस कर लेने से ही वो पल बार- बार स्मरण हो जाता !
अब वो इतवार नहीं आया ।
लेकिन आता रोज है अब भी इतवार नियत समय पे ,
मगर हमारी यादों का इतवार कहाँ है अब आता !
आओं जियें उस पल को ,
क्योंकि आज फिर से इतवार है आया !