आज कुछ खुद में जी लूँ
आज कुछ खुद में जी लूँ
सोचती हूँ,आज कुछ खुद में जी लूँ,
खुद से ही मिल लूँ,
बहुत भागदौड़ लिया अबतक,
आज कुछ विश्राम कर लूँ,
खुद की आज कुछ परीक्षा ले लूँ,
कितना भटकाव रहा अब तक,
आज कुछ उसकी जांच कर लूँ,
कुछ कषाय कल्मष अब बुहार दूँ,
कुछ नए पौधों का रोपण कर दूं,
आज कुछ खुद में जी लूँ,
खुद में एक नवजीवन ला दूँ,
आज कुछ ऐसी मुलाकात कर लूँ,
हर दुर्भाव आज मिटा दूँ,
प्रेम से हर कोना सींच दूं,
रिश्तों की कमजोर कड़ी को,
निस्वार्थ,निश्छल प्रेम से सशक्त बना दूँ,
आज नया कुछ काज कर लूँ,
मन में ही विश्राम कर लूं,
आज खुद से ही बात कर लूं,
खुद में ही गीत गा लूँ,
मन का हर कोना जगमगा दूं।