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Yogesh Suhagwati Goyal

Drama

5.0  

Yogesh Suhagwati Goyal

Drama

आज कलम उदास है

आज कलम उदास है

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पुरस्कार घोषणा ने लेखक को नेता बना दिया

वोटों के चक्कर ने कलम से नाता तुड़वा दिया

हमेशा की साथी बेसुध, बेकार और बदहवास है

हताश और निराश, आज मेरी कलम उदास है।


कुछ दिन पहले वार्षिक पुरस्कार की घोषणा हुई

सभी प्रतियोगीयों के हृदय की धड़कन तेज हुई

लेखकों को कलम छोड़, फोन थामना पड़ गया

लेखन छोड़ के वोटों की भीख माँगना पड़ गया।


संयोजकों ने पुरस्कार जनता के हाथ थमा दिया

पुरस्कार का अकेला माध्यम वोटों को बना दिया

कुछ प्रतियोगी इस फैसले को सही मान रहे थे

कुछ प्रतियोगी संयोजकों पर खीझ उतार रहे थे।


प्रतियोगीयों में पुरस्कार पाने की होड़ मच गई

अधिक से अधिक वोट बटोरने की दौड़ लग गई

पिछले १० दिन में कहीं १० वोट भी नहीं मिले

और किसी की गिनती ८०० के पार पहुँच गई।


मेरी कलम जो हमेशा मेरे साथ थी पूछ रही है

एक लेखक के आत्म सम्मान को झकझोर रही है

इतना पुराना साथ और तुमने मुझे छोड़ दिया

लेखक का क्या होगा जो मैंने नाता तोड़ दिया।


लेखक बोला, माना वोटों ने अंधा कर दिया था

वार्षिक पुरस्कार की आस ने जादू कर दिया था

गलती का एहसास है, “योगी” को माफ करना

ए मेरी कलम, अपना साथ हमेशा बनाये रखना 


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