STORYMIRROR

Manisha Patel

Abstract

4  

Manisha Patel

Abstract

" आज की नारी"

" आज की नारी"

1 min
204

है तू आज की सक्षम नारी,

नहीं मानेगी तू हार ना होंगी हताश,

उड़ने को है तैयार तेरे 'पर'

जीत लेगी तू सारा आकाश।


तोड़कर बेड़ियाँ निराशा की, बेबसी की,

चलना है निरंतर ना लेना अवकाश,

अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से पाकर रहेगी तू ,

अपने हिस्से का संपूर्ण विकास।


यूं ही बढ़ती जा सदैव आगे तू,

कर दे अपने पथ के सारे कंटकों का नाश,

भर्ता भी तू, हर्ता भी तू ,दुर्गा भी तू ,शक्ति भी ,

करना है तुझे निरंतर दुर्जनों का विनाश।


अग्रसर रहे तू सदैव जीवन पथ पर ,

ना होना किंचित भी तू निराश,

थामकर दामन आशा का बढ़ना तू,

खिलते रहेंगे जीवन में रंगभरे सुंदर "पलाश"


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract