आज दो-दो हाथ कर
आज दो-दो हाथ कर
ठान लिया, आगाज कर
जूझने का प्रयास कर
हालात के आघात से
आज दो-दो हाथ कर
बैठकर क्या देखता
हालात की विवशता
हालात कब अनुकूल हो
क्या पता ?
उठ खड़ा हो प्रहार कर
मोड़ दे प्रतिकूलता की आंधियां
सुयोग की प्रतिक्षा में
वक्त मत व्यर्थ कर
सभी विकल्प त्याग दे
सामर्थ्य पूरा झोंक दे
आगाज का ना शोर कर
आगाज़ को अंजाम दें।