आज दीवानों की गली से मैं गुजरा
आज दीवानों की गली से मैं गुजरा
आज दीवानों की गली से मैं गुजरा
देखा उनका उतरा चेहरा।
मायूसी भी बतला देती
कैसा हाल है समझा देती
फिर भी दिवानगी का बुखार है रहता
आज दीवानों........
इश्क़ में झगड़े हो जाते हैं
कहीं कहीं ये तगड़े हो जाते हैं
रिश्ते की नैया डूब जाती है
इश्क़ के परिंदे अलग हो जाते हैं
फिर भी रहता उनमें प्यार है गहरा
आज दीवानों.....
एक तरह का दीवाना हो तो बताऊँ
तरह तरह के पागल हुए दीवाने बताऊँ
जान लुटाने को भी तैयार रहते
प्रेम के पंख लगाकर हैं उड़ते
प्रेम शून्य में प्यार का रंग है फहरा
आज दीवानों.....
टूट जाते हैं अक्सर ये दीवाने
जब कोई पीठ में इनके खंजर भोके
हो जाते हैं दुनिया से परे ये
रहते हैं हरदम मरे मरे से ये
छिन जाता फिर खुशियों का सबेरा
आ जाता है ग़मों का पहरा
आज दीवानो की गली से मैं गुजरा।।

