आज बिखरा हूँ ..कल निख़रुंगा
आज बिखरा हूँ ..कल निख़रुंगा
कलम ख़ामोश है आज... मैं शब्द भी सोच नहीं पा रहा..
तेरे बारे में और क्या लिखूं ...यह भी समझ नहीं आ रहा..
तेरे साथ में जिंदगी बिताने के वायदों के बाद ....
अब तेरी यादों के सहारे जिंदगी बिताने को ..
...मैं कबूल नहीं कर पा रहा ।।
बड़े-बड़े सपने देखने के बाद.. यह दिन भी आएंगे ...
यकीन नहीं कर पा रहा...।
तुम्हारी बेरुखी और बेवफाई ने अब तक का वो सबक दिया..
जो जिंदगी ने शायद , बार बार समझाना चाहा ....
लेकिन मैं समझ ना पाया ।।
तो अब मेरी सुन.. बहुत हो गई तेरे झूठ ...और झूठे सपनों की धुन...
अब बस मेरी और सिर्फ मेरी सुन ।
मत सोच तेरे गम में मैं बिखर जाऊंगा..
अरे टूटा हूँ ....
ज़रा सा ही बिखरा हूँ ...
वक्त लगेगा पर यकीनन संभल जाऊंगा,
तुम देखते रहना ...मैं कैसे संवर के बाहर आऊंगा ।
है भरोसा मुझे खुद पर...मेरी मोहब्बत की पाकीज़गी पर..
अब एक नहीं ...लाखों दिलों पर राज़ करके दिखाऊंगा ।।