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Vivek Sharma

Abstract

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Vivek Sharma

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अपनों से हार जाने का फितूर है

अपनों से हार जाने का फितूर है

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'वक्त की बिसात पर अब खेल थोड़ा अजीब है,

शह और मात का मामला भी काफी करीब है।'

अपनों से ही हार जाने का, चढ़ा ना जाने क्यों फितूर है,

'वक्त से 'विवेक' को यहां भी नसीहत लेने का जुनून है ।।'

                                                       विवेक शर्मा


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