आईपीएस दीदी
आईपीएस दीदी
रही ना थी वो गांवों में कभी
दूर शहर था आशियाना उसका
कभी त्योहारों में दिख जाती थी
जब भी गांव आना होता उसका।
३ भाइयों की इकलौती बहन थी
लेकिन उनमें सबसे बड़ी भी थी वो
खुद पढ़ती भाईयों को भी पढ़ाती
एक लक्ष्य साधे आगे बढ़ रही थी।
सबका कहना अनसुना कर देती थी
की शादी कर ले अब हो चुकी है बड़ी
सारी परेशानी एक किनारे लगा उसने
बस अपने दम पर ही डटी रही थी।
फिर हुआ एक था एक अजीब हादसा
एक भाई छोड़ चला था अपनी दुनिया
दो छोटे भाइयों में से था वो एक जुड़वा
कुछ समय तक परिवार था वो बिखरा।
फिर दीदी उठी और सबको संभाला
करेगी देखरेख ऐसा वादा दिलाया
बन गई आईपीएस अपने दम पर
पूरे गांव शहर में अपना नाम निकाला।
शादी भी हो गई मनपसंद लड़के से
फिर सबके मुंह हो गए थे बंद अब
आदर करते थे आते जाते उसका वो
जो सुनात थे बाहर निकलने पर तब।
