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Tanha Shayar Hu Yash

Romance Tragedy Classics

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Tanha Shayar Hu Yash

Romance Tragedy Classics

आहिस्ता आहिस्ता

आहिस्ता आहिस्ता

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वो सुनाते है फरमान मुझे शैतान आहिस्ता आहिस्ता,

ज़मीन से उठ रहें पाक इंसान आहिस्ता आहिस्ता। 


चाक चौबंद गलियारों पर पैबंद किस काम के,

आते है खाकी खादी वाले इंसान आहिस्ता आहिस्ता।


मेरे दिल को चिर कर कुछ पगडंडियां, रास्तें बने,

अभी भी फावड़े से रास्तें बनाते लोग आहिस्ता आहिस्ता।


मेरे मुस्कुराते ज़ख़्मों का हिसाब वो देंगे यही,

क्योंकि आज भी आँखों से दर्द टपक रहा है आहिस्ता आहिस्ता।

पढते रहिये आपका अपना दोस्त।


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