आधुनिक दोहे
आधुनिक दोहे
ये पंछी उड़ जाएगा
होके एक दिन फुर्ररर
मूरख, तू लगाते रह जायेगा
बिन बोलों के सुर
जीवन की जो रीत है
उसको ले अपनाए
कभी खुशी,कभी गम है
काहे शोर मचाये
हार जीत की आड़ में
जीवन नरक बनाये
सारा पाने के लिए
आधे को भी धाए
अपने चाहने वालों की गर
कदर जो न कर पाए
पैदा हुआ किनके लिए
गर यूँही जीवन गंवाए
जीवन ये दो चार दिन
इससे काहे राग लगाए
हँसी खुशी ही काट ले
सबको गले लगाए।