आदाब -ऐ- मुंबई
आदाब -ऐ- मुंबई
आसमान छूती इमारते
और स्क़वेर फ़ीट के घर
रोज़ बनते बिख़रते ख़्वाब जैसी है
ऐ मुंबई, तेरे सब है,
तू किसी की नही है
महँगी वाली गाड़ीया,
और भीख मांगते बच्चे
शानदार रास्तो पे,
गढ्ढो जैसी हैं
ऐ मुंबई, तेरे सब है,
तू किसी की नही है
दिलो में बहोत प्यार, और ट्रेनों में जगह नही है
गरमागरम वड़ापाव और तीखी मिर्च जैसी हैं
ऐ मुंबई, तेरे सब है, तू किसी की नही है
खाने को रोटी हैं, मगर सर पे छत नही है
पूरी रात चलने वाली पार्टी जैसी हैं
ऐ मुंबई, तेरे सब है, तू किसी की नही है
बैंड स्टैंड, मरीन लाइन्स पे पलता बढ़ता निखरता प्यार
और चार कदम दूर बिकने वाले ज़िस्म जैसी है
ऐ मुंबई, तेरे सब है, तू किसी की नही है
यंहा पे, रोज़ करोड़ो के सौदे होते हैं शेरबाज़ार में
ठेलों पे, चंद सिक्को पे खर्च होते बचपन जैसी है
ऐ मुंबई, तेरे सब है, तू किसी की नही है
सब बड़े बड़े खिलाड़ी पले-बढ़े
रहते तेरी गोद में
पर बच्चों को खेलने दो गज़ जमीन नही है
ऐ मुंबई, तेरे सब है, तू किसी की नही है
तू खूबसूरत, मदमस्त,
कातिल, जालिम, नशीली बला
तू बारिश में भीगती मासूम लडक़ी जैसी है
ऐ मुंबई, तेरे सब है, तू किसी की नही है...!