दोस्तों की जरूरत है
दोस्तों की जरूरत है
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दिन के काले अंधेरे को,
अब शायद रिश्तों की जरूरत है,
आईना क्या देख रहा है,
अब तुम्हें दोस्तों की जरूरत है।
हज़ारो कदम चलने के,
बाद भी जो तू अकेला है,
तो हो सकता है,
शायद तुम्हें नयें रास्तों की जरूरत है।
वैसे तो कश्तियाँ तैरती रेहती है,
समन्दर के सीने पे,
पर किनारे पोंहचने के लिए,
उसे फरिश्तों की जरूरत है।
वक़्त बे वक़्त जब,
यादे आये तुम्हे मेरी, तो समज़ना,
के अब तुम्हे शायद घर का कोना
और गीतों की जरूरत है।
वक़्त गुज़रने पर शायद,
बहोत शिद्द्त से याद आऊँगा तुम्हे,
"दोस्त" अब तुम्हे मेरी तस्बीर,
यांदे और बातों की जरुरत है।

