तजूर्बा
तजूर्बा
1 min
28.3K
मैं हज़ारों बार गिरा हूँ,
मुझे ऊँचाइयों का डर मत दिखाओ।
मैं कोई बर्फ नही हूँ,
मुझे सूरज का डर मत दिखाओ।
अनगिनत कदम चल अकेले,
मैं इस मंज़िल तक पोंहचा हूँ।
थका हूँ, रूका नही,
मुझे अकेले चलने का ख़ौफ़ मत दिखाओ।
के मैंने कितनी रातें,
खुद में डूबके, खुद को ढूँढा है।
के बस अब कोई मुझे,
अंधेरे का भय मत दिखाओ।
अपनो परायों के जाने कितने,
खंजर खाएं है मैंने पीठ पे।
पत्थऱ दिल नही मेरा,
मुझे अब हसते चेहरों के नाम मत दिखाओ।
तजूर्बा केहता है मेरा,
के झूठी है सब, "तारीफें" सारी
झूठा हर शख्स यंहा पे,
मुझे झुठे सच का दर्पण मत दिख।
