आभासी मित्र
आभासी मित्र
अनुपम इक सौगात है, आभासी संसार,
अनजाने से लोग सब, बन जाते हैं यार !
कोने कोने से सभी, करते कितनी बात,
व्यस्त सदा हर क्षण रहें, चाहे दिन या रात,
शब्दों के जादू भरे, करते देखो वार!
मुश्किल का जब दौर हो, दें आपस में साथ,
चाहे मिलना हो न हो, पर सदा बढ़ाते हाथ,
दूर दूर से कर रहे, रोगों का उपचार !
जग की कोई भी खबर, पल में हर जन पाय,
अख़बारों को ढूँढने, कौन कहाँ अब जाय,
इन मित्रों से है मिले, खबरों का भंडार !
जन्मदिवस या और कुछ, अवसर आए ख़ास,
सबको पल में ही लगे, इससे यूँ आभास,
शुभाशीष मिलकर सभी, देते कईं हज़ार !
कितना कुछ हैं सीखते, लेखन निखरे रोज़,
नई नईं रचना लिखें, शब्द नये से खोज,
कलम चले फिर रोज ही, लिए तेज सी धार !
रब ने भी देखो ज़रा, कैसी जोड़ी प्रीत,
अनजाने चेहरे बनें, इक दूजे के मीत,
आभासी रिश्ते हमें, मिलते हैं उपहार !
