माँ इक अनमोल खजाना
माँ इक अनमोल खजाना
जग में आकर पहचाना है,
माँ इक अनमोल खजाना है !
झूठे हैं सब रिश्ते नाते,
सच्चा माँ का याराना है!
उसने तो सीखा बस हम पर,
ममता का रस बरसाना है !
खुद रहती भूखी प्यासी माँ,
बच्चों को देती खाना है !
इससे पहले रोये बच्चा,
माँ का ही रोना आना है !
अपने आंसूं सारे भूले,
माँ जाने हमें हँसाना है !
माँ, अद्भुत रचना है रब की,
यह सच सबने ही माना है !
कहती “सोनी” सुन लो तुम सब,
तुम सबको यह बतलाना है !
रब से पहले पूजो माँ को,
मुश्किल इक माँ को पाना है !
