बचपन
बचपन
हिना को बचपन से जानते है, सुंदर छोटी सी हमारे पडोस में रहती थी। शराबी बाप, बीमार माँ की बेटी, हिना, छोटी बहनों की छोटी सी हिना। बाप जितना भी कमाता शराब में उड़ाता। पड़ोस से लेकर हर जगह हिना का बसेरा, कभी फुदक कर कहीं पहुँच जाती, कभी कहीं। पर सबकी चहेती हिना।
एक दिन हिना गायब हो गयी। बहुत ढूँढा पर पता ही ना चला। पता नही हमारा मन नही मान रहा था। हमने पुलिस को खबर कर दी। पुलिस आई। जब हिना के बाप को चार डंडे पड़े, तो पता चला। हिना के बाप यानी रहमान को हमने भी खींच कर चांटा मारा। खाली 500 रूपये में हिना बिक गयी।
समय बीतता रहा, पर हिना का कहीं पता नही चला। पता नहीं हिना कहाँ होगी? हमारा मन नहीं मानता। हमें लगता था कि हिना आयेगी और हथेली फैला कर कहेगी हमारी ईदी। देखते देखते 16 साल बीत गये। एक ईद के दिन जब उदास थे अचानक दरवाजे की घंटी बजी, खोले, पता चला कोई नवयौवना खड़ी थी। अरे यह तो हिना है! पता चला हिना चकले से चकले होते हुये भाग निकली और सबसे पहले बाप को पकड़वाया, फिर अतीत से परे अपना जीवन जी रही है।