यशी
यशी
आज की नायिका यशी, हमारी नायिका यशी, हर समय हँसती खिलखिलाती यशी, सब के सुख-दुख की साथी यशी; हमारी सखी यशी।कॉधे तक कटे बाल, गरदन के दोनों तरफ टैटू, एक तरफ गनेश जी और शिव दूसरी तरफ अपने चाहतों का नाम। सादगी से भरे कपड़े, सब से सहजता से मिलना, हाल चाल पूछना| एक दिन की घटना आज भी याद है जब हम बहुत परेशान थे। मन बड़ा बेचैन था, हमने फोन किया और पूछा कि मन नहीं लग रहा है कुछ करो| उसने हमेशा की तरह हँसते हुये कहा कि बस इतनी-सी बात| बस शिव के सामने बैठो और ऑखें बंद कर के कहो कि आप ने डाला है इन उलझनों में आप ही निकालें और हमने यही किया| मानो सर से टनों बोझा उतर गया,और सही बात भी है कि हम लोग तो निमित है खाली करवाने वाला तो ऊपर वाला है| फिर हम काहे घबराते हैं|
हर रात के बाद तो सवेरा होना ही है, बस भरोसा करना होगा| आज यशी इस दुनिया में नहीं है| जहां भी रहे खुश रहे, आज बस यहीं तक|