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Bhavna Thaker

Drama

5.0  

Bhavna Thaker

Drama

'मेरी ज़िन्दगी की बहार तुम'

'मेरी ज़िन्दगी की बहार तुम'

5 mins
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सुबह सुबह रचना से जल्दी उठा नहीं जाता हमेशा राजन ही अपने हाथों से चाय बनाकर लाता,ओर बड़े प्यार ओर जतन से मेरी प्यारी रचू स्वीट मोर्निंग बोलकर रचना के कानों में गुनगुनाता, महारानी जी चाय तैयार है उठने का कष्ट करेगी ? ओर रचना राजन को हाथ खिंचकर पास में लिटाकर गले लग जाती। ओर कहती,

तुम इतने अच्छे क्यूं हो ? हाँ मुजे आप पर नाज़ है ...

आज भी अलसायी सुबह की पहली किरण के साथ राजन का मसाला चाय के साथ गुड मोर्निंग जानू कहना ओर रेडियो मिरची पे गाना बजना आये हो मेरी ज़िन्दगी में तुम बहार बनके मेरे दिल में यूँही रहेना तुम प्यार प्यार बनके ,

कीतने भाव जगा गये रचना के मन में,

राजन का रचना को ऐकटक प्यार से निहारना रचना की आँखें नम कर गया वो हर ऐक बात याद करने लगी, और चली गई वो दो साल पीछे।

हर लड़की शादी के दिन दिल में कई सपने , कई अरमान और एक रोमांच लिये पति का हाथ थामे एक नयी ज़िन्दगी की शुरुआत करती है,और एक रचना थी की घबरायी, सकुचायी और अज्ञात भय को दिल में पाले राजन को अपनी ज़िन्दगी सौप रही थी,

एक डर दिल को खाये जा रहा था, शादी का शोर ख़त्म होते ही दोनों आ गये पंच तारक होटेल के आलिशान सूट मे,जहाँ राजन ने रचना के साथ अपनी नयी ज़िन्दगी के सूनहरे सपनों की सेज़ सजायी थी।

राजन फ्रेश होकर रचना के पास आया और धीरे से पास आकर बैठा ,और प्यार से रचना का चेहेरा जो शरम संकोच और भय से कांप रहा था उसे उपर उठाया, पर राजन के छूते ही रचना जोर से चिल्लायी दूर हटो मुजसे, मत छूओ मुजे, और सुबक-सुबक के रोने लगी,

राजन घबराकर पीछे हट गया पास सोफे पे बैठकर चुपचाप रचना को असमंजस में देखता रहा।

रचना थकान और तनाव को लेकर कब सो गयी पता ही नहीं चला ,पर राजन बहोत समझदार था,

दूसरे ही दिन दोनों घर आ गये रात नज़दीक आ रहीं थी और रचना का ख़ौफ़ भी वैसा ही था डरी हुयी सहमी सी रचना बेड पे बैठ गई राजन दरवाजा बंद कर जैसे ही पास आया रचना वापस सुबक पडी ओर राजन ने बीना कोई सवाल कीये धीरे से उसे सुला दीया ॥

रोज का ये क्रम बन गया ऐक हफ्ते बाद साइड टेबल पर राजन ऐक चिट्ठी छोडकर दूसरे बेडरूम में जाकर सो गया, रचना काँपते हाथ और धड़कते दिल से चिट्ठी उठाकर पढने लगी तो राजन की महानता की छवि उसके सामने उभरने लगी कुछ यूं लिखा था राजन ने

मेरी प्यारी,

मै नहीं जानता तुम्हारे अंतर्मन के अंदर क्या घुटन है, क्यूँ खुद से ही इतनी खफा हो , ये भी नहीं जानता की मेरा कसूर क्या है....

पर इतना जरुर जानता हूँ की सात फेरे मेरे लिये सिर्फ़ ऐक रसम ही नहीं थी,

तुमहारा हाथ थामते ही मन में ऐक प्रण भी लिया था की अभी से तुम्हारे सारे गम मेरे और मेरी सारी खुशीयों की मालिक तुम , आज से मै तुम्हारा हमखयाल,हमराज,हमसफ़र और तुम्हारा रखवाला बन हर मंजिल और हर मोड़ पर तम्हारा साया बनकर साथ खड़ा रहूँगा।

अगर तुमने भी सच में मुझे स्वीकार कीया है तो मुझपर भरोसा करके अपने अंदर के सारे गम सारे आँसू और सारे राज़ मेरे नाम करके दिल पे जो बोझ लिये अंदर ही अंदर घूंट रही हो,उससे आजाद होकर ऐक नयी मंजिल पे मेरे साथ कदम मिलाकर रास्ते आसान करलो।

तुम्हारा जीवन साथी ..

चिठ्ठी बाजु पर रख रचना दौड़ी जहाँ राजन सोया था उस बेडरूम की ओर, और राजन से लिपटकर आँसुओं के जरिए सबकुछ उडेलती रही, सुबक सुबककर अपने साथ हुए हादसे को दोहराती रही...

कैसे १५ साल की उम्र में ही ऐक दीन जब मम्मी पापा एक घंटे के लिये रचना को घर में अकेला छोड़ किसीको देखने होस्पिटल गये थे,तब एक अपने ने ही रचना का जीवन बर्बाद किया ,उस इन्सान ने इतना डराया की आज तक किसीको कुछ बता ना पायी , ऐक दर्द ओर बोझ लिये ढोती रही खुद को

मर-मर कर जीती रही।

आत्मा मर गयी थी सिर्फ़ सांस लेने भर से ज़िंदा कहलाती थी, आज भी उस घिनौनी छूअन याद आते ही ऐक सिरहन दौड़ जाती है और बदन काँप उठता है,

उस हादसे ने ज़िदा लाश बना दीया था अब किसीका भी छूना काले सांप का डसना लगता था,

जब आपने मुझे छूआ तो फिरसे वोही घिनौने स्पर्श ने मुजे झकझोर कर रख दीया,और इतना बताकर रो रोकर रचना आधी बेहोश हो गई,

राजन ने मुहँ पर पानी छिडककर पानी पिलाया और हौले से बडे जतन और प्यार से अपने बाजुओं में लेकर सिर्फ़ इतना ही कहा,

पागल बस इतनी सी बात की मुझे इतनी बड़ी सज़ा दी, अब पुरानी हर एक बात को अपने दिमाग के डिवाइस से डिलीट कर दो ...

और दिमाग में नया सिम डालकर नये सीरे से मेरा हाथ थामे नयी ज़िन्दगी की शुरुआत करो,अब तुम्हें कोई गम कोई दु:ख कोई दर्द छू भी नहीं पाएगा ॥

उस पल रचना को मानों एैसा लगा जैसे बारिश के बाद आसमान हल्का और धरती धुली-धुली लगती है, ठीक वैसे उसके दिल का बोझ उतरते ही खुद को हल्की महेसूस करने लगी,और मन में एक नयी उमंग ओर राजन के प्रति प्यार की कोंपलें फूटने लगी....राजन की आगोश में जैसे कोई बच्चा माँ की गोद में खुद को महेफूज़ महेसूस करता है, एैसे ही अपना पूरा अस्तित्व राजन को सौंपकर निडर बन समा गई राजन के आलिंगन में , और निराकार से अलग होकर साध लिया ऐकाकार राजन के अस्तित्व के साथ ॥

जब राजन ने हैलो मेडम कहाँ खो गई बोलकर गाल पे थपकी लगायी तो इतना ही कह पायी,

एक मुरझाये से पौधे को आपने नया जीवन दीया है

मुजे आप पर नाज़ है।

आपने समझाये है प्यार, इश्क, मोहब्बत के सही मायने, आप मेरा पहला ओर आखरी प्यार हो॥


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