अंकिता का पसंदीदा खेल-कबड्डी
अंकिता का पसंदीदा खेल-कबड्डी
"मुझे बड़े जोर की भूख लग रही है।"-घर पर आते ही मेरा भतीजा सौरभ जो अभी काफी देर से बाहर था।सोफे पर बैठते हुए बोला।
"बस केवल दो मिनट और आपके पेट में दौड़ रहे चूहों का इंतजाम करती हूं। तब तक आप हाथ मुंह धो लीजिए"। मेरी तबीयत अंकिता ने बिना एक पल की देर किए हुए कहा।
"आ हा,मैगी।चल फटाफट बना दे। मैं अपना हाथ मुंह धोकर अभी आया।"-वॉशरूम की तरफ जाते हुए सौरभ ने कहा।
"हां भाई ! अपना ही तो धुलेगा तुझे तो अपना ही हाथ मुंह धोना मुश्किल लगता है। तेरा तो बस चले तो तू इसे भी लॉन्ड्री में डलवा दे ताकि बिना कष्ट उठाए तेरा हाथ में धुल जाए। नंबर एक का आलसी कहीं का।"-उसे चिढ़ाती हुई अंकिता रसोई की ओर चल दी।
इधर सौरभ जैसे ही मुंह धोने के बाद आकर जैसे ही बैठा वैसे ही अंकिता मैगी लेकर उपस्थित हो गई। आते ही उसे चिढ़ाने लगी।
"खा तो अपने आप लेगा या मुंह में डालना पड़ेगा। खाने के समय पर इधर-उधर भटकता रहता है और बाद में बड़े जोर की भूख लगी है कह कर खाने की फरमाइश कर देता है। वह तो भला हो मैगी बनाने वालों का जिन्होंने तुम जैसे आलसियों के लिए यह नूडल्स बना दिए वरना तो तुम्हारे जैसे लोग भूखे भटकते रहें और उन्हें भोजन नसीब ना हो ।" -अंकिता ने सौरभ से कहा जोनूडल्स खाने की बजाय उन्हें घूर घूर कर देख रहा था वैसे अंकिता के कहते ही उसने नूडल्स खाने शुरु कर दिए।
"ठीक है ।चश्मा लगाकर देख ले मैं खा तो रहा हूं तू चिंता मत कर मेरी चिंता में क्यों दुबली हुई जा रही है। "- सौरभ बड़ी लापरवाही के साथ बोला।
"अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ नियमित खेलकूद भी शुरू कर ले; नहीं तो यह तेरा शरीर बेडौल होने लगा है और भी ज्यादा बेडौल हो जाएगा।इसलिए जागो सौरभ प्यारे।"-अंकिता सौरभ को नसीहत देते हुए बोली।
बहन , मैगी जैसा शार्ट फार्मूला किसी और भी खेल बगैरा में भी है। क्या मैगी जैसा ही कोई तुरंत इंतजाम वाला खेल में नहीं है?"-सौरभ नेअंकिता से पूछा।
"है ना तेरा स्वदेशी खेल, कबड्डी। जिसमें किसी भी विशेष साजो सामान की आवश्यकता नहीं होती। शौकिया तौर पर खेलने के लिए इसे कहीं भी अच्छा स्थान देखकर खिलाड़ियों की उपलब्धता होते ही कहीं भी शुरू किया जा सकता है। 1990 के एशियाई खेलों में कबड्डी को पहली बार शामिल किया गया हमारे देश को इस खेल का महारथी माना जाता है। 1990 में शामिल होने के बाद 2018 तक भारत का इसमें दबदबा रहा। 2018 में जकार्ता में आयोजित एशियाई खेलों में ईरान ने भारत के विजय क्रम को रोक दिया था। 2018 के खेलों में ईरान गोल्ड मेडल जीतकर विजेता रहा जबकि भारत उप -विजेता अर्थात रनर-अप रहा था।"-अंकिता ने सौरव को उसकी बात का जवाब देते हुए समझाया।
"ठीक है बहन ,जब खेलना होगा तो खेल लेंगे। मैं जब तक नूडल खा रहा हूं तब तक मेरे सामान्य ज्ञान में बढ़ोतरी करने के लिए कबड्डी के बारे में मुझे कुछ जानकारी दे दे।तूने तो अपने स्कूल के दिनों में हमेशा ही कबड्डी की टीम का हिस्सा रही थी और पुरस्कार भी जीते थे।"-सौरभ ने अंकिता से कहा।
"मेरे भाई , जब तुमने पूछा ही है तो तुझे बताती हूं।सुन ले कबड्डी मुख्य रूप से भारतीय महाद्वीप में खेली जाती है।ऐसा माना जाता है कि यह कई खेलों का मिश्रण है ।इसमें रेसलिंग रग्बी आदि खेलों का मिश्रण देखने को मिलता है। इसका मुकाबला दो टीमों के बीच होता है।कबड्डी बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल है ।।हर टीम में बारह खिलाड़ी होते हैं लेकिन एक बार में एक टीम की ओर से पाली में सात खिलाड़ी खेलने के पाले में उतरते हैं ।पॉंच खिलाड़ी सुरक्षित होते हैं जिन्हें विशेष परिस्थितियों में इस्तेमाल किया जाता है। इस खेल में बीस-बीस मिनट के दो हाफ होते हैं जिन के बीच में पाॅंच मिनट का विश्राम होता है। महिला कबड्डी में 15-15 मिनट के दो हाफ होते हैं जिनके बीच में 5 मिनट का विश्राम समय होता है पुरुषों की कबड्डी में मैदान का आकार 12.5 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा होता है।6.25 मीटर पर एक मध्य में रेखा होती है जिससे मैदान दो बराबर भागों में बांटा जाता है इस लाइन को पाला कहते हैं। खेल के लिए इसकी भी निश्चित वेशभूषा में बनियान निक्कर और जूते-मोजे होते हैं।"-अंकिता ने सौरभ को बताया।
"अंकिता, तुझे शायद मालूम नहीं होगा कि लोग गांव में कबड्डी कैसे खेलते थे।अब उतना तो नहीं लेकिन कुछ वर्ष पहले गांव में जब खेत खाली होते थे तब गांव के लड़के खेतों में कबड्डी खेला करते थे। उसमें खेल के मैदान की कोई विशेष नाप नहीं होती बल्कि ऐसे ही लाइनें खींच लेते थे। खिलाड़ियों की संख्या का भी कोई बंधन नहीं होता था बल्कि खेलने के लिए जितने लोग इच्छुक होते थे। उनमें से एक टीम में दूसरे दूसरी टीम में खेलना शुरू कर लेते थे। गांव के लोगों के लिए इस प्रकार कबड्डी एक उनका पसंदीदा खेल है जिसे खेलने के लिए उन्हें किसी सामान की जरूरत नहीं होती है।"-सौरभ ने अपने गांव में खेली जाने वाली कबड्डी का विवरण अंकिता को बताया।
थोड़ा सा रुक पर सौरभ ने अंकिता को बताया -"अंकिता , गांव की कबड्डी सबको खेलने का अवसर मिले खेल शुरू होने के बाद निर्णय बहुत लंबा ना हटके इसके लिए कुछ विशेष प्रकार की कबड्डी विशेष बनाए गए नियमों के आधार पर खेली जाती थी।जब खेलने वालों की संख्या बहुत ज्यादा हुआ करती थी तो उस समय एक विशेष प्रकार की कबड्डी जिसे 'शहीदी कबड्डी' का नाम दिया जाता था।इस कबड्डी की खास बात यह हुआ करती है कि विपक्षी टीम के पाले में जब रेडर रेड करने जाएगा तो वह किसी न किसी खिलाड़ी को जरूर आउट करके आएगा और अगर वह किसी एक भी खिलाड़ी को आउट करने में सफल नहीं होता तो वह खुद आउट माना जाता है। तो इस कबड्डी में एक बार खेलने के लिए सभी को मौका मिलता है लेकिन निर्णय भी जल्दी निकल सके इसके लिए खिलाड़ियों की संख्या इस नियम के अनुसार जल्दी-जल्दी कम होती जाती है थी क्योंकि हर बार में कम से कम एक खिलाड़ी को मैदान से कम होना ही होता है ।इससे सभी की खेल भावनाएं पूरी होती हैं और सब को खेलने का मौका मिलता है और खेल भी लगभग ढंग से चलता है। नतीजा भी थोड़ा शीघ्रता से आता है। है न,बड़े दिलचस्प तरीके की यह कबड्डी।"
वाह क्या बात है गांव की इस विशेष कबड्डी की अंकिता बड़ा ही खुश होती हुई बोली-"खेल हमारे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं लेकिन खेल को हमेशा ही खेल भावना के साथ खेलना चाहिए। इसकी हार या जीत को दिल से नहीं लेना चाहिए। खेलते समय हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। खेलते समय खेल के नियमों को मानें। सामने वाले प्रतिद्वंदी को हराने की चाहत में किसी नियम को कभी भी न तोड़ें और हमें हार का सामना करना पड़े तो उस हार को भी हमें सहर्ष स्वीकार कर लेना चाहिए न कि प्रतिद्वंद्वी के प्रति हमारे मन में कोई दुर्भावना उत्पन्न हो । यही तो गेम स्पिरिट कही जाती है अर्थात खेल भावना। सचमुच, कबड्डी मेरे भी पसंदीदा खेलों में से एक रही है। मैं भी अपने स्कूल के अध्ययनकाल की पूरी अवधि में स्कूल की कबड्डी टीम का हिस्सा रही हूं।"