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DISHA SHAH

Drama Inspirational

4.0  

DISHA SHAH

Drama Inspirational

माँ दुर्गा के नौ रंग

माँ दुर्गा के नौ रंग

6 mins
276


पहेला दिन सफेद रंग 

सफेद रंग शांति का प्रतीक है 

ये कहानी रिया नाम की लड़की की है, वो बचपन से ही शांत थी वो गुस्सा कभी भी नहीं करती थी।

वो हमेशा शांत रहती थी, वो किसी भी परिस्थिति को शांति से समाधान ढूंढती थी।

एक बार उसके ज़िन्दगी में एक असफलता आयी, उनका बिज़नेस तबाह हो गया था, उसने शांति से धैर्य से उस परिस्थिति को संभाला और दोबारा एक बड़ा बिज़नेस को तैयार किया और अब वो बिज़नेस पहले जैसा नहीं रहा उल्टा उसे भी ज्यादा कामयाब बन गया।

इसलिए कोई भी परिस्थिति आए ज़िन्दगी में, हमेशा शांति से उस परिस्थिति का समाधान निकालना चाहिए क्यों की इस से हम ज़िन्दगी में कुछ बड़ा कर सकते है।

दूसरा दिन रंग लाल 

ये कहानी कृति नाम की लड़की की है, बचपन से ही उसके अंदर एक जुनून था, उसको एक कामयाब फैशन डिज़ाइनर बनना था, उन्हें जो सोचा वोही करने को थान लिया, लेकिन रास्ते कठिन थे, उसके घर वाले उसका साथ नहीं देते थे।

फिर भी, अपना १००% जुनून उस काम में लगा दिया जिसमें उसको ख़ुशी मिलती थी।

फैशन डिज़ाइनर उसका सपना ही नहीं उसका जुनून भी था, उसका भी प्यार था।

उसने दिन रात मेहनत की, उसने एक कॉलेज में दाखिला ले लिया और उसमें उसने फैशन डिज़ाइनर लिया,  

और ३साल बाद उसने फैशन डिज़ाइनर की पढ़ाई पूरी की और एक कंपनी में जॉब की शुरुआत की और धीरे धीरे वो एक नामी फैशन डिज़ाइनर बन गयी।

इसलिए ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए वो जुनून वो जज्बा होना चाहिए, ताकि हम ज़िन्दगी में कुछ कर सके और कुछ बन सके।

हमे हिम्मत कभी भी नहीं हारनी चाहिए, हमे हर परिस्थिति का सामना, निडरता से करना चाहिए और ज़िन्दगी में आगे बढ़ना चाहिए।

तीसरा दिन रंग रॉयल ब्लू,  

ये कहानी सुहानी नाम की लड़की की है।

सुहानी के अंदर वो ऊर्जा बचपन से ही था , वो बचपन से ही ऊर्जावान थी, वो हर चीज में कमाल का प्रदर्शन करती थी, चाहे वो पढ़ाई हो या खाना बनाना हो, वो हर काम में अपना १००% देती थी।

वो बहुत उत्तम तरीके से उस काम को करती थी।

उसके अंदर इतनी ऊर्जा थी की, वो खुद की पढ़ाई तो कर लेती थी साथ में दूसरे इंसान की भी मदद करती थी।

उसके अंदर जो ऊर्जा थी उससे लोग उनकी तारीफ करना कतराते बिलकुल भी नहीं थे।

 इसलिए ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए ऊर्जा होनी चाहिए , इन ऊर्जा से ही हम ज़िन्दगी में जो भी, करना चाहते है, वो हम पूरा कर पाते है।

चौथा दिन रंग पीला 

ये कहानी आरती नाम की लड़की की है।

आनंद और उत्साह के साथ ज़िन्दगी बिताती थी, वो ज़िन्दगी खुल के जीती थी।

हल पल को वो आनंद और उत्साह से सजाती थी।

आनंद और उत्साह का कारण उसकी सकरात्मकता सोच ही थी।

आनंद और उत्साह से उसके ज़िन्दगी सरल थी।

वो समस्या को भी हल में बदल देती थी।

जिससे उसकी ज़िन्दगी में सुख ही सुख था।

इसलिए हमें ज़िन्दगी खुल के जीनी चाहिए आनंद और उत्साह से जीनी चाहिए जिंदगी।

आनंद और उत्साह से इस सफर को सरल बनाना चाहिए, इससे ज़िन्दगी थोरी आसान हो जाती है।

पाँचवाँ हरा रंग 

ये कहानी सोनल नाम की लड़की की है, उसके अंदर बहुत रूप थे। वो थोड़ी गुस्सा वाली थी, उसका दिल एक दम साफ़ था , वो ज़िद्दी थी , वो जुनूनी भी थी, कोई भी काम को वो लेती थी, उससे पूरा कर के ही छोड़ती थी।

उसके अंदर दयालु के भी गुण थे, वो किसी को तकलीफ में बिलकुल भी नहीं देख सकती थी।

उसके अंदर क्या क्या गुण थे इसका उससे अंदाजा. भी नहीं लगा सकती थी। वो कितनी ताकतवर थी, वो कितनी कार्यशील थी, वो जो भी करना चाहती थी, वो आसानी से कर सकती थी।

ये बात को अपना के ही, वो दुनिया की एक कामयाब एक्टर बानी वो।

वो अपनी मेहनत से इतने बड़े सपने को आसानी से पूरा कर सकी।

इसलिए हमारे अंदर क्या गुण है वो हमे पता करना चाहिए और हम कर सकते है और, हर गुण से एक बेहतरीन और ताकतवर इंसान हम बन सकते है और आसानी से ज़िन्दगी में आगे बढ़ सकते है।

छठा दिन रंग ग्रे।

ये कहानी प्रिया नाम की लड़की की, है उसके अंदर अच्छाई थी ,वो किसी का भी सपने में भी बुरा नहीं सोच सकती थी.

वो हमेशा लोगों का अच्छा ही करती थी।

लेकिन एक दिन एक लड़की ने उसके संग बदतमीजी की और प्रिया को नीचा दिखाने में समय बर्बाद करती थी..

प्रिया उसको समझाने की कोशिश करती थी, लेकिन वो नहीं मानी , उसके अंदर की बुराई को प्रिया नाश करना चाहती थी.

उसने अपना इरादा मजबूत किया और उसको सुधार के ही मानी।

उस लड़की ने प्रिया को , गिराने की कोशिशें की, लेकिन उसी में वो ही गिर पड़ी।

फिर प्रिया ने उस लड़की को कहा की बुराई को त्याग करो, क्यों की बुराई से बुराई ही मिलती है, उससे उसके गलती का प्रायश्चित था।

इसलिए ज़िन्दगी में हमेशा अच्छाई के रास्ते से ही चलना चाहिए, आज जो भी हम कर्म करते है वो लोट के हमारे पास ही आता है।

और जो बात अच्छाई में है वो बात कभी भी बुराई में नहीं हो सकती है।

 सातवाँ दिन रंग नारंगी।

ये कहानी दिया नाम की लड़की की है उसके अंदर बचपन से ही कुछ बड़ा करने की आग, थी।

वो एक लेखक बनना चाहती थी। और उसके अंदर बचपन से ही लेखक बनने का गुण था।

उसके ज़िन्दगी आसान बिलकुल भी नहीं थी, बहुत तकलीफों से उससे गुजरना पड़ रहा था, क्यों की सारी दुनिया उसके इन फैसले से खिलाफ थी।

फिर भी उसके अंदर एक आग थी एक लेखक बनने की, उसके अंदर चमक था। कुछ बनने का, कुछ करने का एक अलग ही था.

  दिन पे दिन वो प्रयास करती थी, वो रोजाना लिखती थी, , हर जगह वो मेहनत करती थी।

दिन पे दिन उसका ज्ञान बढ़ ही रहा था। जिससे एक दिन कांटेक्ट, मिला उसको स्टोरी राइटिंग का उससे,  ज़िन्दगी ही बदल गयी।

 धीरे सब कोई जानने लगा और वो एक बड़ी लेखक बन गयी।

इसलिए ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए आग होनी जरूरी है, और सब से ज्यादा जरुरी बाते, हम जो भी काम कर रहे, उस में ज्ञान होना बहुत जरूरी है, क्यों की ज्ञान से ही सफलता की पूंजी हमें मिलती है.

अथवा दिन हरा रंग।

ये कहानी रुचिका नाम की लड़की की है, वो शांत स्वभाव की थी। वो ज्यादा सब से बाते नहीं करती थी।

वो सिर्फ खुद के साथ व्यस्त रहती थी उसकी बहुत सारी इच्छाएँ थी, की वो एक डॉक्टर बने, गरीब लोगों का फ्री में इलाज करे, उसके परिवार को ख़ुश रखे।, उसको एक समझने बाला जीवनसाथी मिले।

वो अच्छे कर्म को मानती थी, वो हमेशा सब का अच्छा ही करती थी।

जिससे उसका सभी काम में अच्छा होता था, असफलता आयी थी, लेकिन उससे वो सामना कर लेती थी, उसका सब सपना पूरा होने लगा, वो एक डॉक्टर बनी फिर फ्री में इलाज कराने लगी वो जरूरत मंद को।

और वो परिवार को ख़ुशी से रखती थी।

उससे समझने वाला जीवनसाथी भी उससे मिल गया।

इसलिए ज़िन्दगी में हमारी सभी इच्छाएँ पूरी होती है बस हमें ईमानदारी, सच्चाई के रास्ते से चलना चाहिए।

अच्छे कर्म का फल हमें मिलता ही है, आज नहीं तो कल।

हमारी इच्छा पूरी होती है, हमारे अंदर आगे बढ़ने की आग भी जरूरी है तब ही ऐसा हो पाता है।

नौ में दिन रंग गुलाबी 

ये कहानी है श्रेया नाम की लड़की की, उससे बचपन से ही एक अच्छे संस्कार और सही और गलत की शिक्षा मिली थी जिससे उसके अंदर शुद्धता थी। उसका दिल, आत्मा सब शुद्ध थे।

वो हमेशा लोगों का अच्छा ही करती थी।

वो एक समाज सेविका बनी, वो हर एक नारी की मिसाल बनी, वो आगे बढ़ी ज़िन्दगी में और वो दूसरी नारी को भी आगे बढ़ने की आग उसके अंदर पैदा कर रही थी.

वो नारी शक्ति की आन, बान और शान थी.

 वो हमेशा दूसरी नारी के लिए खड़ी रहती थी, बल्कि लड़ती भी थी नारी के लिए।

नारी शक्ति का उससे अवार्ड भी मिला,

समाज सेविका के तौर पर वो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो रही थी।

और उसका दिल अंदर से एक दम पवित्र था, इससे वो ज़िन्दगी में सुखी थी।

लोगों की मदद प्रशंसा के लिए नहीं अपनी आत्मा के लिए अपने लिए करती थी।

इसलिए ज़िन्दगी में हमेशा आत्मा को दिल को शुद्ध रख ना चाहिए।

और हर नारी को ज़िन्दगी में आगे बढ़ना चाहिए क्यों की हर नारी में शक्ति होती ही है जिससे वो आगे बढ़े, और ज़िन्दगी में कुछ करे।



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