शहर में एक परी
शहर में एक परी
रिया नाम की बची,अपने माता पिता के साथ दिल्ली में रहेती थी।
रिया नाम की बची चल नहीं सकती थी,ठीक से अपने पेहरो पे। वो वॉकर से चलती थी।
नए स्कूल में उसका दाख़िला हुआ था। स्कूल नया था, रिया से कोई भी नहीं बात करता था। स्कूल के बच्चे रिया को परेशान करते थे। उसको बुली करते थे।
रिया अपने माता पिता के पास अपनी समस्या बताती है, माता पिता स्कूल में शिकायत करते है, उन बच्चो की, लेकिन कोई भी इसकी नहीं सुनता है।
रात की बात थी रिया सो रही थी, एक परी रिया के पास आयी, रिया उस परी को देख कर चौकन्न हो गयी की, असल ज़िंदगी में भी कोई परी होती है।
उस परी की दोस्ती रिया से हुई।
फिर वो परी ने, अपने जादू की छड़ी से रिया को ठीक कर दिया।
अब रिया बिना सहारे से भी चल सकती थी।
रिया को चलते देख के उसके माता पिता आश्चर्यचकित हो गए थे,की ये हुआ कैसे ? ये चमत्कार हुआ कैसे ?
रिया जब स्कूल गयी उसको बिना सहारे के चलते हुए बाकि सब भी आश्चर्यचकित हो गए थे।
तब बाकी बच्चे उसको परेशान करने ही वाले थे, वहा परी आ गयी और उसने सभी बच्चो को सबक सीखाया और, दोबारा उन सब बच्चे रिया को परेशान नहीं करते थे।
और परी और रिया में दोस्ती गहेरी हो गयी थी।
उस परी ने रिया को इतना ताकतवर बना दिया जिससे वो हर चीज में आगे बढ़ती ही गयी।
रिया ने अपने माता पिता से परी की बात कही ?
पहले तो माता पिता नहीं माने, फिर वो परी, दिखाई दी उसके मातापिता को भी।
माता पिता परी को शुक्रिया कर रहे थे।
तब परीने कहा अब सब ठीक हो गया है, में वापस जहा से आयी थी वहा मुझे जाना ही होगा।
परी चली जाती है, रिया बोलती है मत जाओ, परी फिर भी बोलती। है अब मुझे जाना ही होगा।
उसके बाद परी रिया को जादुई शक्ति दे के, वो चली जाती है।।
रिया ये कहानी अपने दोस्तों को बताती है।
उस परी कभी कभी रिया के सपने में उससे मिलने आती है, और उससे ढेर सारा प्यार देती है।
