सभ्यता की ओर
सभ्यता की ओर
"माँ,क्या हमारे पूर्वज आदि मानव थे"स्कूल से आकर बस्ता एक ओर फेंक कर नितिन ने प्रश्न किया।
"हाँ, पर ये प्रश्न तू क्यों पूछ रहा है।"
"आज हमारे टीचर ने बताया।"
"और क्या क्या बताया।"
"यही की आदमी जंगलो मे रहता था, जानवरों का शिकार करता, उनका माँस खाता। उनके घर, हमारे घरों की तरह नहीं होते थे। कपड़े भी नहीं पहनते थे।"
"बिल्कुल सही बताया, अब चलो पहिले खाना खाओ, भूख लगी होगी।"
नितिन के लिये खाना माँ ने लगा दिया और उसके पास ही बैठ गई। थाली मे नितिन की पसंद की कढ़ी और चावल के साथ आलू की सूखी सब्जी और खीर भी थी। नितिन ने कहा "क्या वो लोग ऐसा खाना खाते थे।"
"कौन बेटा ? "
"अरे वही आदि मानव।"
"अरे तुम वही अटके हो। बहुत पहले जब धरती पर मनुष्य आये तब वो समाजिक सभ्यता से कोसों दूर थे। वे पेड़ों के पत्तों और जानवरों का शिकार कर उनका कच्चा माँस खाते, साथ ही जानवरों का चमड़ा उतार कर पहिनते। बाद में पत्थरों को आपस में रगड़ कर उन्होने आग जलाना सीखा और माँस पका कर खाना सीखा। वे गुफा मे रहते थे।" माँ ने बताया।
"अच्छा माँ, टीचर कह रहे थे उनकी पूँछ भी होती थी, सच है क्या।"
"हां सुना तो मैंने भी।"
"वे हमारे पूर्वज थे तो हमारी पूँछ क्यों नहीं है। कहाँ गई हमारी पूँछ ?
"बहुत बातें करते हो तुम। जैसे जैसे मनुष्य के कदम सभ्यता की ओर बढ़े अनावश्यक चीजें हमसे दूर होती गई। देखो आदि मानव अपनी सूझ-बूझ ज्ञान से बढ़ते हुए कहाँ से कहाँ पहुंच गया। चाँद को छू लिया।"
"मज़ा आ गया खाने में, खीर तो एकदम फर्स्ट क्लास।"
"अब थोड़ा आराम करो और होम वर्क कर जल्दी सो जाओ।"
थका हुआ नितिन जल्दी ही गहरी नींद के आगोश मे आ गया। सपनों की दुनिया में खुद को पाया। अन्तरिक्ष से उतर वह आदि मानवो के देश मे पहुंच गया। उन्होनें नितिन को घेर लिया। नितिन ने देखा उनके चेहरों और सिर पर बड़े बड़े बाल है शरीर पर जानवरों के चमड़े पहने है। रात अन्धेरे में मशाल उनके हाथ में है। वे नितिन को देखकर, उस पर आक्रमण की मुद्रा में है।नितिन को शत्रु समझ रहे है। वो नहीं जान पा रहे की अन्तरिक्ष का नितिन उन्हीं की विकसित दुनिया का रुप है। नितिन उन्हें समझाना चाह रहा है पर गले में उसकी आवाज जैसे फंस गई है और आदि मानवों का समूह हथियार और जलती मशालें ले कर उसकी तरफ बढ़ते चले आ रहे धीरे धीरे और बस अब उस पर आक्रमक करने ही वाले हैं। नितिन घबरा कर जोर से चिल्लाया---माँ-----'उसकी आँखे खुल गई, पसीने-पसीने हो गया। माँ दौड़कर आई। चिपका लिया अपने से नितिन को।
"माँ मैने सपने में आदि मानवों को देखा वो मुझे मारने आ रहे थे।"
"बेटा वो आदि मानव हम ही है। उनका सभ्य, विकसित, सुसंस्कृत रुप। वो तुम्हें मारने नहीं तुमसे मिलने आ रहे थे।