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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

चाचा चौधरी 'का आनन्द

चाचा चौधरी 'का आनन्द

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"आनंद जी आप तो सचमुच 'आनंद' वाले ही आनंद हो।आप खुद भी बड़े आनंद में रहते हो और आपके सानिध्य में जो भी आता है वह भी आनंदित हो जाता है।"-मदन जी ने हमारे बालसखा आनंदित रहने के गुण की सराहना करते हुए कहा।


आनंद जी ने मेरी ओर इशारा करते हुए कहा -"भाई साहब ,अब आप ही इन्हें अपनी भाषा में समझाइए कि हमारा जीवन हम सबके लिए ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ उपहार है। इस अद्वितीय उपहार पाकर हम आनंदित न हों तो क्या यह ईश्वर को अच्छा लगेगा?"


मैंने भी आनंद के मत के साथ पूरी तरह सहमत होते हुए मुस्कुराते हुए कहा -"जिंदगी जिंदादिली का नाम है 'मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं। भाई मदन, एक तो तुमने फिल्म 'आनंद' का संदर्भ देते हुए अपनी बात रखी है तो अब क्या कहा जाए? या तो तुमने आनंद फिल्म में जो मुख्य संदेश था उसको समझा ही नहीं। हमें ईश्वर ने जीवन दिया है इस जीवन में हंसी खुशी के रंग भरने के लिए हमारे रिश्ते नातेदार और मित्र भी दिए हैं जिनके साथ हम अपनी जिंदगी में हंसी खुशी के रंग भरकर सदैव आनंदित रहें। हमारा प्रयास भी यही हो कि हमारे संपर्क में आने वाले सभी लोग भी आनंदित हों। हमें हमेशा अपने ध्यान में यह बात याद रखनी है 'बंटाना है गर तो बटाओ गमों को, लुटाना है तो सबको खुशियां लुटा दो।न रखो सुखों को सीमित खुद ही तक,संदर्भित में सुखों की गंगा बहा दो।' हमें इस बात का भी सदैव ध्यान रखना है कि जब आप खुश होते हैं तो आपकी खुशियों में शामिल होने के लिए सारा जमाना तैयार रहता है लेकिन अगर आप दुखों से दुखी होते हैं दो इन दुखों को बताने वाले आपको विरले ही मिलते हैं।"


मदन ने आनंद के बैग से पानी की बोतल निकालने के लिए हाथ डाला तो उसे उसमें चाचा चौधरी की कॉमिक्स बुक देखी। इससे बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस उम्र में भी आनंद कॉमिक्स पढ़ता है। उसने आनंद के बैग से कॉमिक्स निकाल कर मुझे दिखाते हुए कहा-"देखिए भाई साहब , क्या आनंद की यह उम्र छोटे बच्चों की तरह कॉमिक्स पढ़ने की है। नौटंकी कहीं का।"


"मदन, यही बचपने वाले शौक ही तो आनंद की जिंदादिली का राज हैं। यही तो उन स्रोतों का एक भाग है जहां से आनंद के मन में आनंद की अविरल गंगा बह कर उसके संपर्क में आने वाले सभी लोगों को आनंदित करती है। ऐसा कोई भी शौक जो हमारी जिंदादिली को बरकरार रख सकता है ऐसे शो को हमें बनाए रखना चाहिए। हमारे यहां शौक तो शौक , रोग ऑल लेने की भी बात कही है ।कहा गया है न,' पाल ले एक रोग नादां जिंदगी के वास्ते, सिर्फ सेहत के सहारे जिंदगी कटती नहीं।"-मैंने आनंद के कॉमिक्स पढ़ने के शौक के समर्थन में अपनी बात रखी।


मदन ने आनंद के कॉमिक्स वाले शौक के बारे में कुछ और ज्यादा जानकारी प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त करते हुए पूछा -"भाई आनंद,तू केवल शौक के लिए ही कॉमिक्स पढ़ता है या कॉमिक्स बारे में कुछ विशेष भी जानकारी रखता है?"


आनंद ने मदन के मन में उत्पन्न हुई इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए उसे बताना शुरू किया-"भाई मदन, 'चाचा चौधरी ' एक बेहद ही लोकप्रिय भारतीय कॉमिक्स बुक के चरित्र हैं। जिसकी रचना कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा ने की थी ।उनकी इस कॉमिक्स की लोकप्रियता का अनुमान आप इस प्रकार लगा सकते हैं कि हिंदी अंग्रेजी सहित दूसरी दस भारतीय भाषाओं के साथ यह कॉमिक्स प्रकाशित होती है। 'चाचा चौधरी' आधारित बने दूरदर्शन धारावाहिक पर इसके 600 से अधिक एपिसोड दिखाए गए जिसमें अभिनेता रघुवीर यादव ने चाचा चौधरी की भूमिका को निभाया था। इस सीरीज की हरियाणा के विषय में प्राण साहब ने कहा था की हर एक परिवार में कोई एक बुद्धिमान बुजुर्ग होते हैं वह अपने विवेक से एक हास परिहास भरे अंदाज में उन मुश्किलों को हल करते हैं और यह आज से बनाए रखना ही मेरे कार्टूनों का आधार है इस कॉमिक्स की खास बात की है कि इसमें चाचा चौधरी को दूसरे कॉमिक्स सुपर हीरो की तरह ना तो बलिष्ठ शरीर का दिखाया है और न ही कभी उन्हें असाधारण शक्तियों यह आधुनिक गैजेट्स का प्रयोग करते हुए दिखाया गया है। इस पात्र की विशेषता यह है कि चाचा चौधरी के दिमाग को किसी भी सुपर कंप्यूटर से ज्यादा तेज चलते हुए समस्याओं को हल करने में दिखाया गया है। किसी हथियार के नाम पर उनके पास बस उनके पास केवल लकड़ी की एक छड़ी होती है जिससे मुसीबत में वह बदमाशों की पिटाई कर डालते हैं। उनकी कहानियों में खलनायक भी सामान्य तौर पर भ्रष्ट सरकारी तंत्र के लोग ,चोर राहजनी करने वाले गुंडे एवं बदमाश -चालबाज होते हैं ।चाचा चौधरी न सिर्फ उनसे लड़ता है बल्कि सामान्य लोगों की मदद भी करता है ।इसके साथ ही वह उन्हें नैतिकता का पाठ पढ़ाते हुए अच्छे व्यवहार का सबक भी देता है। चाचा चौधरी का सहयोगी किरदार और विश्वसनीय साथी साबू जुपिटर ग्रह का वासी है। साबू पृथ्वी से विदा होने के दौरान चाची भी बनाए पराठों और हलवा जैसे स्वादिष्ट व्यंजन के मोह में पड़ जाता है और वह आजन्म चाचा चौधरी के साथ पृथ्वी पर आजन्म रहने का रहने का इसी मोह के कारण निश्चय करता है।"


"अभी भी संतुष्टि न मिली हो तो कुछ और भी विवरण पेश कर सकता है।"-मैंने मदन की ओर प्रश्नवाचक मुद्रा बनाते हुए उससे जानना चाहा।


हाथ जोड़ते हुए मदन बोला-" बस हो गया ,हो गया ; आज यह भी पता चल गया कि आनंद का यह डिफेक्टिव दिमाग.....सॉरी ..सॉरी ..सॉरी ...डिटेक्टिव दिमाग और हास्य व्यंग कलाकार इसी चाचा चौधरी कामिक्स की उपज है। तभी तो इसका सूखी हड्डी जैसा शरीर और उस पर है अपने दिमाग के भरोसे अच्छी-अच्छी जगह भिड़ जाता है।"


मैंने आनंद की कुशाग्र बुद्धि की प्रशंसा करते हुए कहा-" आनंद हमारी मित्र मंडली का कॉमेडियन और डिटेक्टिव है जो हम सबका दिल बहलाने के साथ-साथ गंभीर समस्याओं के समाधान में भी अक्सर हम सबकी मदद करता है और इसकी मदद भी तन -मन और धन तीनों प्रकार से होती है।"


"बिल्कुल ,लेकिन आज की सेवा केवल तन और मन से ।भाई साहब, आपने जैसे ही फोन पर कहा कि मदन आ रहा है ।उसी समय मैंने अपना बटुआ और ए टी एम कार्ड घर पर छोड़ दिए क्योंकि आज धन से सेवा करने का कोई मूड नहीं था। आज हमें धन सेवा के लिए आज के जलपान का खर्च का सौभाग्य मदन जी को देना चाहिए।"-आनंद खिलाते हुए बोला आनंद खिलखिलाते हुए बोला।


"चल दी न चाचा चौधरी वाली चाल।"-मदन ने बड़ी जोर से हंसते नूतन काउंटर की ओर जलपान का भुगतान करने के लिए आगे बढ़ते हुए कहा-" ठीक है भाई, जैसी हमारे डिटेक्टिव और कॉमेडियन की मर्जी।"


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