चुलबुली गीत
चुलबुली गीत
कल मेरी बेस्ट फ्रेंड गीत की शादी है,वे लोग पंजाब से हैं, मैं दिल्ली से रात की गाड़ी से चली थी सुबह सुबह ही उसके गाँव पहुँच गई। गाँव में खुशियों का माहौल है, सब ओर चहल-पहल है, ढोल-नगाड़े बज रहे हैं। बच्चे तो बच्चे बूढ़े भी भांगड़ा और गिद्दा नाच रहे हैं।
घर के अंदर गई,जो कि किसी हवेली से कम नहीं है,सारी लड़कियों और औरतों ने मुझे घेर लिया कि "कौन है?कौन है?" मैंने कहा, "गीत की काॅलेज की सहेली हूँ। " कोई लस्सी का बड़ा सा गिलास थमा गया।
सब मुझे अंदर ले गए गीत लड़कियों और औरतों से घिरी मेहंदी लगवा रही थी।मुझे देखते ही उठ खड़ी हुई।और गले से लग गई, "कैसी है सुहानी," उसने कहा।
मैं ने कहा अच्छी हूँ तुम मेहंदी लगवा लो मैं जरा हाथ-मुँह धोकर आती हूँ और एक लड़की से बाथरूम का रास्ता पूछकर चली गयी । नहा- धोकर तरोताजा होकर मैं उससे मिलने गई, वह तब अकेली थी।
मुझे उसकी शादी का कार्ड अचानक ही मिला था इसीलिए मैं उससे बहुत कुछ जानना चाहती थी,मैंने उससे पूछा कि "अचानक कैसे शादी "!उसने कहा "तू तो जानती है कि "मैं अपनी फेवरेट हूँ" मेरे मन में जो आता है वही करती हूँ ,अचानक इस लड़के से प्यार हो गया और दारजी (गीत के दादाजी) ने भी परमिशन दे दी।"
"लेकिन गीत तुम्हारी शादी तो किसी और से हो रही थी ना ",मैंने पूछा ।
"हाँ पर मैं उससे प्यार नहीं करती हूँ और जहाँ प्यार नहीं वो रिश्ता पहले एक समझौता होता है और बाद में बोझ बनकर रह जाता है। वैसे भी वह मेरे लायक ही नहीं था, नालायक कहीं का! सिखणी हूँ मैं भटिंडा की ! ऐरी गैरी थोड़े हूँ, जो ब्याह कर लेती उससे।" गीत का जवाब था।मैं गीत के लिए खुश हूँ कि उसने जो चाहा वह पाया, बाकी लड़कियों के जैसे उसे समझौते की सजा वाली ज़िन्दगी नहीं जीनी पड़ेगी।