असली मुकाबला
असली मुकाबला
मायापुरी का जुडो मास्टर चेला राम की तलाश में गुलफाम नगर आ पँहुचा था, लेकिन उसे न तो चेला राम नजर आया और न उसके उसके दो खरगोशनुमा दाँत लेकिन उसके पल्ले पड़ गया ढक्कन प्रसाद यानि डिप्पी।
"जुडो मास्टर मै तुम्हे कुश्ती की दुनियाँ का स्टार बना दूँगा, मायापुरी के फ़टीचरो ने तुम्हारी इज्जत का जुलुस निकाल रखा है, यहाँ गुलफाम नगर में एक बार तुमने शाकाल नाम के एक हलवाई को कुश्ती में हरा दिया तो तुम्हारी जय जयकार हो जाएगी, हरे-हरे नोट मिलेंगे, वो अलग मजा होगा।" डिप्पी चहक कर बोला।
"चलो लड़ने चलते है शाकाल से........." जुडो मास्टर हरे हरे नोटों के नाम पर उछलते हुए बोला।
"ज्यादा मत उछल शाकाल मक्खन हलवाई का मुख्य कारीगर है और पूरा सांड है, तुम जरा सा चूक गए तो तुम्हे रगड़ कर रख देगा........" डिप्पी चिंता के साथ बोला।
"डरा मत, मै किसी शाकाल वाकाल से नहीं डरता हूँ, वो क्या पीसेगा मुझे मै ही उसे पीस कर रख दूँगा........" जूडो मास्टर गुर्रा कर बोला।
"बकवास मत कर; कल अजगर दास अखाड़े में तेरा मुकाबला होगा शाकाल से.......जो दंड बैठक पेलनी है पेल ले।" कह कर डिप्पी जूडो मास्टर को आँखों से तौलता हुआ चला गया।
जूडो बनाम कुश्ती
अजगर दास अखाड़े में कुल जमा १०० लोग थे जो जूडो मास्टर का शाकाल से मुकाबला देखने आये थे। पूरे शहर के सट्टेबाजों ने कुल एक लाख रुपया सट्टे में लगाया हुआ था, शाकाल पर एक का आठ और जूडो मास्टर पर एक का दो का सट्टा लगा था।
थोड़ी देर बाद छह फ़ीट के दानव शाकाल के सामने साढ़े पाँच फ़ीट का जूडो मास्टर था। मुकाबला तय वक्त पर शुरू हुआ और जैसे-जैसे मुकाबला बढ़ता गया न तो कुश्ती; कुश्ती के जैसी बची और न जूडो; जूडो के जैसी बची। एक अजब सी उछल कूद मची थी अखाड़े में। जैसे जैसे मुकाबला बढ़ता गया वैसे-वैसे सट्टा बढ़ता चला गया। इस टाइम मुकाबले पर दस लाख का सट्टा था।
अचानक जूडो मास्टर ने पैतरा बदल कर शाकाल को उठा कर पटक दिया और पटका भी ऐसा कि शाकाल हिल न सका।
निराश लोग अखाड़े से बाहर निकल गए। सट्टे पर जीत की रकम बाँटने के छह लाख रूपये का लाभ हुआ; जिसमे से ६० हजार रुपए निकाल कर डिप्पी ने जूडो मास्टर के हाथ पर रखे।
"हिसाब सही कर साठ हजार रुपए तू रख बाकी के मेरे हवाले कर......." जूडो मास्टर गुर्रा कर बोला।
"औकात में रह जूडो मास्टर........नहीं तो चलता बन।" डिप्पी चीख कर बोला।
तभी जूडो मास्टर ने डेढ़ कुंतल के डिप्पी को उठा कर पटक दिया और उसके हाथो से सारा पैसा छीन कर साठ हजार उसके मुँह पर दे मारे और बोला, "अब हुआ असली मुकाबला और असली हिसाब-किताब।
इसके बाद जूडो मास्टर ने पाँच लाख चालीस हजार रूपये अपनी जेबो में ठूसे और मायापुरी की तरफ चल पड़ा।