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प्रेम के आगे कुछ नहीं

प्रेम के आगे कुछ नहीं

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रोली आज बहुत खुश थी। शादी के बाद पहली बार शिव आया था, उससे मिलने उसके मायके।शादी के दो दिन बाद ही वो मायके आ गई थी और शिव अपने काम पे वापस चला गया था।आज दो महीने बाद शिव को देखकर उसे खुद लाज आ रही थी शिव के पास जाने में।वो इधर-उधर नजरें चूरा रही थी।

रात हो गई थी और सब खाना खा के बातों में लगे थे,पर शिव को रोली से मिलने की जल्दी थी। सब सोने गए तो शिव बेचारा अपने कमरे में आया। रोली बिस्तर लगा रही थी।

रोली यार ये लोग भी समझते नहीं....इतनी दूर से तुमसे मिलने आया हूँ और तुम से ही नहीं मिल पा रहा था। शिव ने उसे बाहों में भर लिया। रोली बस उसकी बाहों में ऐसे ही रहना चाहती थी। कितना सुकून लगा था उसकी बाहों में। शिव तुम सो जाओ, काफी थक गए होगे रोली ने बोला।

थकान तो तुम्हें देखते ही मिट गई..शिव ने चुटकी ली। रात काफी हो गई थी शिव सो गए थे, पर रोली अभी भी जाग रही थी उसे अपने पैरों में दर्द हो रहा था। उठ कर बैठ गई थी।पैर की अंगुली में उसे काफी दर्द हो रहा था ऐसा लग रहा था जैसे कोई घाव हो पर सुबह से तो ऐसा नहीं था कुछ, उसने सोचा,पर अंधेरे में कुछ दिख भी नहीं रहा था।

उसने चुपचाप फोन की लाइट जलायी ! देखा तो उसके पैर में उसका बिछुआ चुभ गया था जो इतना दर्द दे रहा था। उसने निकालने की कोशिश की पर वो निकल ही नहीं रहा था उससे, बिछुआ और अंदर ही चुभ गया.... थोड़ा खून भी आने लगा।

 वो बिस्तर पे कराह ...उठी थी। क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो ? शिव भी जाग गया। शिव ने उसके पैर देखे। अरे ये कैसे हुआ ? यार ये सब क्या पहन लिया तुमने..... देखो पैर की हालत ! तुम औरतें भी न बस......शिव बोलते जा रहा था और बिछुआ निकालने की कोशिश भी कर रहा था, बिछुआ शिव के हाथ में आते ही शिव ने उसे बाहर फेंक दिया।

देखो, खून आ रहा ...आज के बाद ये सब मत पहनना। शिव ने रोली से कहा। रोली रोए जा रही थी। ज्यादा डाँट दिया क्या ? शिव ने पूछा। शिव ने उसे गले से लगा लिया। मैं बहुत डर गया था, तुम्हें ऐसे देखकर ! मुझे माफ कर दो। शिव ने उसे जोर से गले से लगा लिया। रोली का हर दर्द जैसे गायब हो गया था शिव के प्यार के आगे।


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