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Shalini Dikshit

Inspirational

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Shalini Dikshit

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आनंदी से सीख (बालिका वधू)

आनंदी से सीख (बालिका वधू)

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घर के काम निपटा के प्रिया दोपहर में सोने की कोशिश कर रही है, पर नींद उस से कोसों दूर है। आज सुबह से वह उदास है वैसे तो कई बार ऐसा होता है लेकिन आज कुछ ज़्यादा ही सोच रही है अगर वह इतनी ही बुरी है या उसको अब जीवन से कोई आशा नही रही तो उसको अब अपनी जीवन लीला समाप्त कर देनी चाहिए, पर कैसे? तरीके तो कई है पर वो कोई ऐसा तरीका अपनाएगी जिस से उसके पति को कोई परेशानी न झेलनी पड़े मतलब कानूनी परेशानी, शायद रोड एक्सीडेंट ठीक रहे....

यह सब सोचते हुए वो अतीत में चली गई ...

कितनी खुशनुमा जंदगी थी उसकी विवाह से पहले, घर मे माता-पिता की लाडली और स्कूल में शिक्षिकाओं की। घर वालो ने एक योग्य वर ढूंढ के उसका विवाह कर दिया, सब कुछ बहुत ही अच्छा लेकिन प्रिया कहीं खो सी गई।

आकाश का नेचर एकदम अलग, बस काम पे जाना औरआना, कोई शौक नही, कही बाहर भी जाते दोंनो तो मशीनी तौर पे जैसे कभी-कभार बाहर जाने का एक काम निपटाना हो।

अब तक प्रिया को नीचा दिखना, बहस करना आदि बातो का कोई ज्ञान न था; वह महसूस ही नही कर पाई एक साथी होता क्या है? बहुत कोशिश करी जान ने की कि आखिर ऐसा है क्यों वो; लेकिन घर से भी ऐसा ही समझ आया कि वह हमेशा से ऐसा ही है।

दोनो घर से दूर दूसरे शहर में अकेले रहते थे, प्रिया सब के साथ अच्छा व्यवहार रखती आस पास में और ससुराल में भी। हर काम समय से करती हमेशा आकाश का पूरा ध्यान रखती, फिर भी उसको अहसास दिलाया जाता वो कुछ ठीक से नही करती,

वह एक मशीनी जीवन जी रही थी, कोई शौक नही, हसी-मजाक कुछ नही। 

कई बार उसको लगता क्या ये भी कोई जीवन है? क्या सभी लोग ऐसे होते है या सिर्फ वो ही ऐसा था। पता नहीं कब उसकी आंख लग गई, दिमाग फट रहा था सोच-सोच के तभी उसे बेहोशी सी नींद आ गई।

उसकी बेटी ने आ कर हिलाया, "मम्मी आज कितना सो रही हो? उठो न चाय पीनी है। प्रिया की आंखें अपनी बेटी परी को देखते ही बहने लगीं और हृदय करुणा से भर गया,

वह यह सब क्या सोच रही थी, उसको तो अपनी परी के लिए जीना ही है। 

उसने आज अपनी जीवन लीला समाप्त करने का आज का अपना प्रोग्राम परी की शादी तक के लिए टाल दिया........

फिर उसके दिमाग ने तुरंत उस को झकझोरा कि आनंदी को तो जगिया बिल्कुल नही चाहता, वो पढ़ी-लिखी भी नही है फिर भी कभी मरने के बारे में नही सोचती, मेरे पास मेरी बेटी है फिर भी मैं ये आत्म हत्या जैसे अपराध करने की सोच रही थी, आत्म हत्या कभी नही, ये कोई उपाय नही। 

प्रिया उठ के परी को साथ लेकर मार्केट चल दी आखिर शॉपिंग से ही अब मूड ठीक होगा न। 


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